Thursday, November 30, 2017

हिप्स और थाई एक्सरसाइज


स्क्वैट्स
आपके थाई और हिप्स की मांसपेशियों को सुडौल बनाने में काफी कारगर साबित होते हैं। अपने पैरों को कन्धों जितनी दूरी पर रखें और घुटनों को मोड़कर कुर्सी की मुद्रा बनाकर हिप्स को नीचा करें। इस मुद्रा को 2 सेकंड तक बनाए रखें तथा फिर सीढ़ी खड़ी हो जाएं। इस बात को सुनिश्चित करें कि व्यायाम करते  वक़्त आपका धड़ बिलकुल सीधा हो और आपके घुटने आपके अंगूठों के सामने ना जाएं। इसे 5 के सेट में करीब 3 बार दोहराएं तथा धीरे धीरे इसे बढाएं।

कार्डियो और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग वाली एक्सरसाइज करें
कई ऐसी एक्सरसाइज हैं जो कि विशेष रूप से हिप्स और थाई पर काम करती हैं। इन एक्सरसाइज को करने के लिए आपको किसी तरह के उपकरण की जरूरत भी नहीं होती है। आप इन्हें आसानी से घर पर ही कर सकती हैं। अगर आपके पास साइकिल है तो आप दिन में कम से कम एक घंटा साइकिलिंग कर सकती हैं। इसी के साथ आप स्कुएट्स भी करके आसानी से अपने हिप्स और जांघों के वजन को कम कर सकती हैं। आप ऐसा हर दिन 30 मिनट तक जरूर करें।

 एरोबिक एक्सरसाइज
ऊपर बताई गई एक्सरसाइज के साथ ही आप एरोबिक्स भी कर सकती हैं। आप एरोबिक्स एक्सरसाइज करके भी अपने हिप्स और जांघों का वजन कम कर सकती हैं। एरोबिक्स करके आप आसानी से थाई और हिप्स के साथ अपने पूरे शरीर को टोन कर सकती हैं। इससे आपका मेटाबोलिज्म भी बूस्ट होता है। इस एक्सरसाइज को आप रोजाना आधे घंटे के लिए करें।

 योग
योग हर समस्या का अंतिम समाधान होता है। योग ना केवल फैट को बर्न करता है, बल्कि यह मेटाबोलिज्म को सुधार कर हमारे मन को शांत करता है। आप सूर्य नमस्कारा करके प्रतिदिन अपने पूरे शरीर को टोन कर सकती हैं। इसी के साथ आप बंध कोणासन, सेतुबंधासन, बालासन, वीरभद्र आसान, पश्चिमोत्तानासन और उत्कटासन आदि करके भी हिप्स और थाई को पतला बना सकती हैं।


Wednesday, November 29, 2017

मिररस जो घर में जान डाल दे-



यदि आप सोचते है कि इंटीरियर में महंगा सामान लगाया जाए तभी घर डिफरेंट लुक देगा। ये सोच गलत है क्योंकि जरूरी है कि आप किस तरह अपनी क्रिएटिवटी को घर को सजाने में यूज करते है। यहां हम आपको बता रहे है कि किस तरह आप षीषे का यूज करके घर को एक अलग लुक दे सकते है-

मिरर लगाते समय
हमेषा ध्यान रखे कि षीषे से घर को सजाते समय उसके डाइमेंशन्स का खयाल जरूर रखें। रूम के अकोर्डिंग ही मिरर का इस्तेमाल सही से करे साथ ही रूम में लगाते वक्त इसकी सही पोजिषन पर ध्यान दे ताकि
रोशनी का रिफलेक्शन सही तरह से हो सके।

डिफरेंट लुक के लिए
यदि आप चाहती है कि आपका रूम कुछ डिफरेंट नजर आए तो आप ऐसे मिरर का इस्तेमाल करे जिन पर आर्टवर्क किया गया हो। ऐसे मिररस की ढेरो वैरायिटी मार्केट में मौजूद है इन पर पेटिंगस साथ ही बहुत ही खुबसूरत डिजाइनिंग की गई होती है।  और यदि आप पेटिंग करना जानती है तो स्वयं ही मिरर पर पेटिंग कर घर को सजा सकती है ं

बेडरूम में मिरर
बेडरूम में यदि आप मिरर का सही प्रयोग करना चाहती है तो ऐसी ड्ेसिंग टेबल ले जिसका मिरर बड़ा हो या फिर कोई दीवार खाली पड़ी है तो आप उस पर बड़ा सा मिरर लगा एक अलग लुक दे सकती है। लेकिन मिरर लगाते समय ध्यान दें कि सही जगह पर लगा हो ताकि रोशनी और एनर्जी का अच्छा रिफलेक्शन मिले।

पार्टीषन के लिए
यदि आपकी किचन ओपन है और आप किचन और ड्ाइंग रूम के बीच पार्टीषन चाहती है तो मिरर का यूज करे । पार्टीषन के लिए मार्केट में बहुत सी वैरायिटी में मिररस आते है जिसमें किचन से रिलेटिड पिक्चरस बनी होती है साथ ही ये बहुत से कलर्स और डिफरेंट लुक में आपको मार्केट में मिल जाएंग जो अच्छे लुक के साथ किफायती साबित होगे।ा


यदि आप चाहती है कि आपका देखने वाला आईना खुबसूरत और अलग हट कर नजर आए तो आप थोड़ी सी क्रिएटिवटी के जरिए उसे डिफरेंट बना सकती है।

आईस्क्रीम स्टीक
आप आईस्क्रीम की स्टीकस पर अलग अलग कलर्स का यूज करे  अगर हो सके तो नियोन कलर्स का यूज करे जिससें ये डिफरेंट नजर आएंगी। साथ ही जब ये सूख जाए तो इन्हे मिरर की साइडस पर चिपका दे आपका मिरर का एक अलग लुक देगा।

कपड़े का यूज
ओवल षेप के मिरर को सजाने के लिए सबसे पहले उस पर किसी भी कलर का कपड़ा थोड़ा बल देते हुए लगा दे फिर उस पर षीषे, आर्टिफिषल फूल पत्तियां ,गोटे का इस्तेमाल करे इससे आपका शीशा रंग-बिरंगा दिखेगा।

फोटो का प्रयोग
अगर आपको फोटोग्राफी का शौक है तो, आप शीशे के चारों ओर अपनी बेस्ट फोटो को लगा सकते हैं। इससे जब भी आप शीशे की ओर देखेंगे तो आपको अपनी पुरानी यादें याद आ जाएंगी।

गिफट पेपर का प्रयोग
यदि आपके पास डिफरेंट कलर्स और पिं्रट के गिफट पेपर पड़े है
तो उन्हें शीशे के चारो ओर चिपका कर उसे सुंदर सा लुक दिया जा सकता है।

इंटीरियर डेकोरेटर मुक्ति अग्रवाल से बातचीत पर आधारित

सलिवेरी ग्लैंड स्टोन


आजकल हमारी दिनचर्या इस कदर व्यस्त हो गई है कि हम अपने शरीर में पनप रही बहुत सी ऐसी बिमारियों के विश्य में अवगत ही नहीं होते या यूं कहिए कि हम उनका अनदेखा कर देते है।  जिसका भुगतान हमें बाद में उठाना पड़ता है जब वह व्यापक स्वरूप ले लेती है। बिमारियों में यदि पथरी की बात की जाए तो ये ज्यादातर लोगों में आम समस्या बन गई है। किडनी और गाॅलब्लेडर में पथरी बनने के बारें में अक्सर लोग जानते है। लेकिन लार ग्रंथियों की ट्यूबस जो मुंह में जाकर खुलती है उनमें भी स्टोन हो सकता है आपने शायद सुना नहीं होगा। लेकिन यह समस्या भी अब आम बनती  जा रही है। हमारे शरीर में चार लार ग्रथियां होती है दो गले के पास और दो कानों के नीचे। लार गं्रथियों में पथरी होने से मरीज को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है। आईए जानिए इसके बारें में-

सलिवेरी ग्लैंड
सलिवेरी ग्लैंडस ;लार ग्रंथिद्ध जो आपके मुंह में होती है मुख्य लार ग्रंथियों के अलावा और भी कई छोटी ग्रंथियों होती है। ये लार बनाती है और नलिका नामक छेंदो से यह आपके मुंह के अंदर जाता है। सलाइव या लार का सही अनुपात में बनना इसलिए महत्वपूर्ण होता है क्योंकि ये भोजन को नम बनाता है जिससे आपको चबाने और निगलने में सहायता मिलती है। लार एक तरह का रासयनिक तत्व ;एन्जाइमद्ध है जो आपके खाने में से स्टार्च और फैट को अलग करता है। जिससे खाना पचाने में आपकी मदद करता है। साथ ही मुंह को साफ रखने में मदद करता है ऐसे एंटीबाडी शामिल करता है जो कीटाणुओं को खत्म करते है। लेकिन यदि इन लार ग्रंथि में कोई भी परेशानी सूजन और पथरी जैसी समस्या आ जाती है तो मुंह में लार भली प्रकार से नहीं बन पाता है और आपको दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

सलिवेरी ग्लैंडस में पथरी
कान के नीचे चेहरे पर पैरोटिड ग्रंथि व् निचले जबड़े के नीचे दोनों तरफ सबमेडिबुलर लार ग्रन्थियां होती हैं  कई बार लार व् इसके स्राव पर कैल्सियम फास्फेट व् अन्य पदार्थ जमा हो जाते हैं जिससे स्टोन की रचना होने लगती है और लार के प्रवाह में रूकावट आती है। यह समस्या ज्यादातर 30 से 50 की उम्र के लोगों में देखी जाती है। यदि आपको भी मुंह में दर्द का कारण सलिवेरी ग्लैंड स्टोन है तो इसके लिए डाॅक्टर इसे डाइअग्नोस करते है कि आपको किस तरह के ट्ीटमेंट की आवश्यकता है।

कारण
डाॅक्टर के अनुसार यदि हम ज्यादा आर्टीफिशियल सप्लीमेंट ले रहे होते है तो ये एक बहुत बढ़ा कारण है स्टोन बनने का। क्योंकि यदि हमारी बाॅडी को कैल्शियम की आवश्यकता नहीं है और हम कैल्शियम सप्लीमेंट ले रहे है तो ये हमारे शरीर के किसी एक भाग में स्टोर होने लग जाता है शरीर के जिस भाग में ये जमा होता है वहां हमें परेशानी होने लगती है।

लक्षण
पथरी बनने पर लार ग्रंथि में रूकावट से सूजन आ जाती है जो जबड़े या कान के नीचे देखी जा सकती है। साथ ही इसमें हल्का दर्द होता है जो भोजन करने के दौरान ज्यादा महसूस होता है। अक्सर मुंह मे लार या सलाइव सही से नहीं बनने पर आपको मंुह में सूखापन महसूस होता है। मुंह खोलने में परेशानी होने लगती  है। और संक्रमण होने की आशंका बढ़ जाती है।

जांच व इलाज
एक्स रे या सीटी स्केन से इसकी सही जगह व आकार  का पता लगाया जाता है। मुंह के अंदर लार नली सलीवेरी ग्लैंड में स्टोन होने पर बिना किसी बाहरी चीरे के स्टोन को अंदर से निकाला जा सकता है। लेकिन लार ग्रंथि के अंदर गहराई में पथरी होने पर साथ ही बहुत पुरानी होने पर सर्जरी करके पथरी को निकाला जाता है।

डेंटल केअर जोन के डाॅ0 नवीन अरोरा ;डेंटल सर्जन और काॅस्मेटोलाॅजिस्टद्ध से बातचीत पर आधारित

Monday, November 20, 2017

इन्फ्लूएंजा से बचाव कैसे करे





सर्दियों में हमें बहुत सी बिमारियों का सामना करता है। जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है उन्हे बिमारियों का ज्यादा सामना करना पड़ता है। आजकल सर्दियों में सबसे ज्यादा जो वायरस फैलता हुआ दिखता है वह है इन्फ्लूएंजा। इन्फ्लूएंजा को हम फ्लू के नाम से भी जानते हैं। यह एक विशेष समूह के वायरस के कारण मानव समुदाय में होने वाला एक संक्रामक रोग है। इसकी षुरूआत खासी,झुकाम और हल्के बुखार के साथ होती है ध्यान नहीं दिया जाए तो ये बीमारी घातक रूप धारण कर लेती है। हम अक्सर ये सोच कर लापरवाही कर बैठते है कि खासी झुकाम ही तो है लेकिन इस लापरवाही का भुगतान षरीर को उठाना पड़ता है।
इन्फ्लूएंजा क्या है
इन्फ्लूएंजा एक तरह का वायरस है जो हमारी ष्वसन तंत्र का एक अत्यंत संक्रामक रोग होता है। फलू तीन प्रकार के होता है ए,बी,सी। इनमें से ए और बी इन्फ्लूएंजा का कारण बनता है। जबकि टाइप सी भी फलू के लक्षणों को दर्षाता है लेकिन इस तरह का फलू कम देखने को मिलता है। इन्फ्लूएंजा वायरस हमारे षरीर में नाक,आंख और मुंह के द्वारा प्रवेष करता है। साथ ही ये एक से दूसरे व्यक्ति में खांसने, छींकने या उसके संपर्क में रहने से फैल जाता यदि घर में कोई एक सदस्य इस बीमारी से पीड़ित हो गया है तो और सदस्य भी इससे अछूते नहीं रह पाते है।
इसके लक्षण
-इसमें अक्सर थकान महसूस होती है षरीर अस्वस्थ रहता है।
-गले में कफ का जमाव रहता है कुछ भी निगलने में दिक्कत आती है।
- बेहद कमजोरी महसूस होने लगती है थोड़ा चलने पर या कोई कार्य करने पर चक्कर आने लगते है। 
-ठंड लगती है साथ ही बुखार होता है बुखार तेज या कम हो सकता है। बुखार 100 से 103 डिग्री तक हो सकता है। लेकिन जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है वैसे-वैसे बुखार 106 डिग्री तक पहुंच जाता है।
-काफी नजला हो जाता है बेहद छींके आती है सांस लेने में परेषानी महसूस होने लगती है। साथ ही सांस फूलने लगता है।
-त्वचा का नीला पड़ना
-मांसपेशियों में दर्द,सिर दर्द होना आदि।

इन्फ्लूएंजा का उपचार
-ऊष्मा का प्रयोग इस बीमारी में हुई अकड़न और दर्द से राहत पहुँचाता है।इलेक्ट्रिक हीटिंग पैड उपयोग करें या फिर बोतल में गर्म पानी भरकर छाती, पीठ या जहाँ दर्द हो वहां पर रखें।
-बुखार होने से शरीर में निर्जलीकरण हो जाता है, इस कमी को पूरा करने और बीमारी से निजात पाने के लिए सामान्य से अधिक तरल लेने की जरुरत होती है।गर्म तरल पदार्थ जैसे कि चाय या गुनगुना निम्बू पानी पीजिये। जिससे शरीर में जल की पूर्ति के साथ-साथ गले को आराम मिलता है तथा साइनस साफ होने में आसानी होती है।
-पानी में अजवाइन डालकर उबाल लें और जब तक पानी आधा न रह जाए इसे उबलने दें। पानी का सेवन समय-समय पर करते रहें। पानी का सेवन उबाल कर करें।
- जड़ी-बूटी(हर्ब्स) बीमारी में शरीर का तापमान कम करने में सहायक माने जाते हैं। इन्हें काढ़े के रूप में लें।
-इसमें ठंडा और बासी खाने से दूरी बना कर रखें।शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाने वाले खाद्य पदार्थो का सेवन करें।
-गर्म पानी से स्नान कीजिये. गर्म पानी की भाप से कफ ढीली होती है
-सबसे ज्यादा जरूरी है कि बीमार पड़ने पर अपने स्वच्छता पर ध्यान दें तभी आप जल्द सही हो पाएंगे। जैसे हाथ को धोकर खाना खाए साथ ही उन्हे धोने के बाद सुखा कर रखे।
- यदि आप व्यायाम रोज करते है तो इस तरह के व्यायाम करे जिससे आपका षरीर थकान महसूस न करे।
-अपने शरीर को जितना हो सके आराम दें।
-नाक बंद होने पर सिर के निचे तकिया रखकर सोने से आराम मिलता है।
-ऐसे में स्टीम लेना बेहद फायदेमंद साबित होता है क्योंकि आपको काफी जुकाम होने के कारण सांस लेने में तकलीफ होती है तो स्टीम से आपकी नाक भी खुलती है साथ ही कफ नीचे उतरता है।

लापरवाही बरतने पर-
- युवा, बच्चों तथा 65 की उम्र से अधिक के बुजुर्गों में जटिलता हो सकती है।
- गर्भवती महिलाओं को भी फ्लू का खतरा ज्यादा रहता है।
- इंफ्लूएंजा से निमोनिया, कान में संक्रमण, साइनस संक्रमण और ब्रोंकाइटिस का खतरा बढ़ जाता है।
- यदि उच्च श्रेणी का फ्लू हो तो, एंटीवायरल दवाएं उपयुक्त रहती हैं, अन्यथा व्यक्ति की मौत भी हो सकती है।

इंफ्लूएंजा की रोकथाम के लिए-
मौसम के पहले टीकाकरण करवायें
इंफ्लूएंजा का टीका अक्सर डाक्टर द्वारा दी जाती है।ये फ्लू न होने की गारंटी तो नहीं देते परन्तु अन्य प्रकार के वायरस से रक्षा करते हैं।
साफ सफाई पर ध्यान दें
नित्य हाथ धोने की आदत डालिए, विशेष रूप से सार्वजिनक स्थान से वापस आने पर हाथ धोना, इंफ्लूएंजा से संक्रमित होने से बचने का बेहतरीन तरीका है। हमेशा अपने साथ जीवाणुरोधी वाइप्स रखिये जिसका उपयोग ऐसी जगह पर किया जाता है जहाँ साबुन और सिंक न हो।
स्वस्थता पर ध्यान दें
अच्छा आहार, शरीर के आवश्यक पोषक तत्त्व तथा विटामिन की पूर्ति, शारीरिक व्यायाम इत्यादि इंफ्लूएंजा से रक्षा में सहायक हैं। अगर फिर भी इसका हमला हो तो शरीर बीमारी से निपटने में तैयार रहता हैं।

चेतावनी-
डाक्टर को दिखाएं अगर फ्लू में 102 डिग्री से ज्यादा बुखार, छाती में दर्द, सांस लेने में तकलीफ या मूर्छा जैसे लक्षण दिखे। इसके अलावा लक्षणों में 10 दिनों के भीतर सुधार न दिखाई देने पर या उनके काफी खराब होने पर भी डाक्टर को दिखाएं।
फिजीशन डाॅ0 डी के चैहान से बातचीत पर आधारित

Wednesday, November 15, 2017

चुकंदर के कबाब


खून की कमी में चुकंदर का सेवन करना लाभदायक है । अक्सर महिलाओं में खून की कमी वाली बीमारी देखने को मिलती है । जिसे एनिमा कहते हैं। गर्भ के समय यह समस्या महिलाओं में और भी बढ़ जाती है। सभी जानते हैं कि चुकंदर में खून की कमी दूर करने की क्षमता होती है । इसमें आयरन की बहुत ज्यादा मात्रा पायी जाती है। आयरन लाल रक्त कणों की बढ़ोत्तरी करने में सहायक होता है।

चुकंदर को स्वादिष्ट बनाएं-
कई बार देखने को मिलता है कि बहुत से लोगों को चुकंदर खाने में अच्छा नहीं लगता लेकिन आप चुकंदर का प्रयोग अलग अलग तरह की रेसिपी में इस्तेमाल करके इसका सेवन कर सकते है जिससे ये स्वादिष्ट भी लगेगा और आयरन की कमी को  दूर करेगा सो अलग। 
यदि आप नाष्ते में चुकंदर से बनी कोई रेसिपी ट्ाई करना चाहती है तो कविता नागपाल द्वारा बनाई गई रेसिपी चुकंदर के कबाब रेसिपी हम आपको बता रहे है आईए जानिए-

समग्री-
उबले हुए चुकंदर-2-3
उबला हुआ आलू-1
अदरक -1 चम्मच  
गर्म मसाला -1 चम्मच
लाल मिर्च पाउडर - 1चम्मच
धनिया (बारीक कटा हुआ) -2 चम्मच
हल्दी पाउडर- एक चैथाई चम्मच
नमक- स्वादानुसार
काजू- 7-8
मैदा- कोट करने के लिए
तेल तलने के लिए


विधि
1. सबसे पहले उबले हुए चुकंदर और आलू को कददुकस कर ले। फिर एक कटोरी में चुंकदर और आलू को लेकर अच्छी तरह से मिला लें।
2. अब इसमें अदरक ऊपर बताई गई सभी सामग्रियों को डालते हुए अच्छी तरह से मिला लें।
3. इसके बाद इस मिश्रण में स्वादानुसार नमक और धनिया मिलाकर इस मिश्रण की छोटी-छोटी गोल-गोल टिक्की बना लें।
4. जब टिक्कियां पूरी तरह से बनकर तैयार हो जाएं तो मैदे का थोड़ा सा घोल तैयार करके उसमें इन टिक्की को डिप करते हुए तेल में डालकर फ्राई कर लें और सुनहरा भूरा रंग होने तक इन्हें तले।
5. आपकी चुकंदर का कबाब बनकर पूरी तरह से तैयार हैं, साथ ही पुदीने की और टमाटर की चटनी के साथ इन्हे गर्म गर्म सर्व करे।


Tuesday, November 7, 2017

इस सर्दी घर में प्रदूषण को कम करे अपनाएं ये उपाएं-







इस सर्दी घर में प्रदूषण को कम करे अपनाएं ये उपाएं-
सर्दियों के आरम्भ से ही प्रदूषण की समस्या घातक रूप ले लेती है। यातायात और वाहन भीड़ की वजह से भारत में वायु प्रदूषण एक प्रमुख मुद्दा बन गया है। यदि आप मोर्निंग वाॅक के षौकीन है तो आपको अपने मन को समझाना पड़ता है कि बाहर सेहत बनेंगी नहीं बिगड़ेगी। आप बाहर निकलते समय तो दस बार सोचते है कि प्रदूषण से कैसे बच पाएंगे। लेकिन क्या आपको पता है कि आपका घर जिसे आप सुरक्षित समझ रहे है वह भी प्रदूषण से अछूता नहीं है। घर में बहुत सी ऐसी चीजें है जिससे वायु प्रदूषण फैलता है और जिनके कारण आप बार बार बिमार पड़ते है। हम अक्सर बाहरी वातावरण के वायु प्रदूषण (आउटडोर पाॅल्यूशन) की बातें करते हैं, लेकिन मानव स्वास्थ्य के लिए घरेलू प्रदूषण (इनडोर पाॅल्यूशन) भी कम खतरनाक नहीं है, सम्भवतः ज्यादा ही। घर के अंदर के प्रदूषण की मुख्य वजहें वेंटिलेशन की उचित सुविधा नहीं होना, उच्च तापमान और सीलन का स्तर हंै। अगर घर में रहने वाले लोगों की संख्या ज्यादा हो और रहने के लिए स्थान अपर्याप्त, तो स्थिति और भी खराब हो जाती है। यहां हम आपको बता रहे है कि किन मुख्य कारणों से घर में वायु प्रदूषण फैलता है और आप इसका समाधान कैसे निकाल सकते है-
वेंटिलेषन
घरों में सबसे बड़ी परेषानी एयर वेंटिलेषन की है क्योंकि घर का वेंटिलेषन ही सही नहीं होगा तो समस्या और बढ़ जाएगी। वैसे तो हम सर्दियों में घरों के खिड़की दरवाजे बंद ही रखते है कही न कही ये जरूरी भी हो जाता है क्योंकि आपके घर के आसपास यदि प्रदूषण ज्यादा है तो खिड़की दरवाजे बंद रखना ही सही है लेकिन यदि आसपास का क्षेत्र धुआं मुक्त है, तो खिड़कियां खोल कर घर के अंदर के हवा की गुणवत्ता में सुधार करने का अवसर ले। आप खिड़की की जाली स्क्रीन लगा सकते है जो न केवल धूल कणों और पराग के खिलाफ एक इष्टतम फिल्टर के रूप में कार्य करेगा , बल्कि कीड़ों को अपने घर से बाहर रखने में भी प्रभावी हो सकते हैं।
सुगंधित अगरबत्ती
हर घर में रोजाना सुबह पूजा करते समय अगरबत्ती जरूर जलाई जाती है और खासतौर पर त्योहारों के मौसम में इनकी मात्रा काफी बढ़ जाती है। इन अगरबत्ती से कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसे हानिकारक गैस निकलते हैं जिससे घर का माहौल प्रदूषित होता है। ऐसे माहौल में ज्यादा दिन रहने से आपको सीओपीडी और अस्थमा जैसी बीमारियां हो सकती हैं।

वैक्यूम क्लीनर
अक्सर हम घर को साफ करने के लिए वैक्यूम क्लीनर का इस्तेमाल करते हे। लेकिन षायद आपको पता नहीं कि वैक्यूम क्लीनकर के इस्तेमाल से धूल और कीटाणु घर में हवा के कणों में घुल-मिल जाते हैं, ये सांसों के जरिए शरीर में प्रवेश करते हैं। क्लोस्ट्रिडियम बोट्यूलिज्म नामक बैक्टीरिया वातावरण में घुलता है जो बच्चों को संक्रमित कर सकता है। यह संक्रमण बच्चों के लिए जानलेवा भी हो सकता है।जिन घरों में वैक्यूम क्लीनर का इस्तेमाल अधिक होता है उनमें यह बैक्टीरिया अधिक होता है जो दमा के मरीजों, बच्चों और कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों पर हावी होने के लिए काफी है।
समाधान
वैक्यूम क्लीनर को रोजमर्रा में इस्तेमाल में न लाए महीने या पंद्रह दिनों में आप इससे घर की सफाई कर सकते है जिससे आपके घर की वायु प्रदषित होने से बच सकेगी।

सफाई में इस्तेामाल होने वाले उत्पाद
साफ सफाई के लिए घरों मे बहुत उत्पादों का इस्तेमाल किया जाता है। इनमें हाइड्ोक्लोरिड एसिड मिला होता है। जब हम इसका ज्यादा इस्तेमाल करते है तो इनसे हमे बहुत सी परेषानियों सामना करना पड़ता है बहुत से लोग शौचालय क्लीनर, कालीन क्लीनर और ओवन क्लीनर के संपर्क में आते हैं तो आंखों और त्वचा में जलन का अनुभव करते है। जलन के अलावा, यह गुर्दे और फेफड़ों से संबंधित समस्याओं का कारण भी बनता है। इसका अत्यधिक उपयोग हमारे स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है।
समाधान
बेषक ये उत्पाद हमें नुकसान पहुंचाते है लेकिन घर की साफ सफाई के लिए इनको इस्तेमाल करना हमारी मजबूरी बन गया है लेकिन सावधानीपूर्वक इनका इस्तेमाल करके हम इनके बुरे प्रभाव से बच सकते हैं।

पैसिव स्मोकिंग
इस स्थिति में व्यक्ति विशेष खुद धूम्रपान नहीं करता लेकिन दूसरे के धूम्रपान करने पर वह उसके धुएं को सांस के जरिए अंदर लेने पर मजबूर होता है।विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार बच्चे घरों में पैसिव स्मोकिंग के सबसे ज्यादा शिकार होते हैं। बच्चों की रक्त नलिकाओं की दीवारें मोटी होने लगती हैं और उन्हें दिल का दौरा पड़ने व स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। इससे गर्भस्थ शिशु मंदबुद्धि या विकलांग पैदा हो सकता है।
समाधान
घर में धूम्रपान न करने दें।

चिमनी
सर्दियां षुरू होते ही खाया भी खूब जाता है और बनाया भी। ऐसे में घर में धूएं की समस्या होना लाजमी है। लेकिन यदि आपके किचन में चिमनी लगी है तो आप धूएं से होने वाले घर में प्रदूषण से बच सकते है लेकिन लम्बे समय तक सफाई न करने से चिमनी के अंदर लगे फिल्टर पर धुआं और तेल जम जाता है, जिससे चिमनी धुएं को बाहर फेंकने के बजाय वापस किचन में ही फेंक देती है। जो सेहत की दृष्टि बेहद खतरनाक है।
समाधान
जरूरी है कि समय-समय पर चिमनी की सफाई कराई जाए जिससे आपका घर प्रदूषित होने से बच सके।

एयर फ्रेशनर
बहुत से लोगों को तो एयर फ्रेषनर से एलर्जी होती है ये भी एक तरह के घर में वायू प्रदूषण के कारण है। क्योंकि इसमें फॉर्मैल्डहाइड जैसे रसायनों की उच्च मात्रा पाई जाती है।  इसमें मौजूद इन हानिकारक पदार्थों की वजह से हमारे तंत्रिका पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। जिससे श्वास संबंधी समस्या होने का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा, यह त्वचा के लिए बहुत खतरनाक होता है।
समाधान
इनका इस्तेमाल जितना हो सके कम करे क्योंकि जरूरी नहीं जिन्हे परेषानी है वहीं इनका इस्तेमाल न करे लेकिन और लोगों के लिए भी ये कम खतरनाक नही है।

साथ ही कुछ और बातों को ख्याल रखकर घर को प्रदूषण रहित बनाएं-
-घरों के अंदर प्रदूषण न हो, इसके लिए कमरों को हवादार बनाए रखने की जरूरत है।
-पालतू पशुओं को घरों से बाहर रखना चाहिए।
-सर्दियों में अधिकतर घरों में गलीचों का इस्तेमाल किया जाता है या फिर  इंटीरियर के लिए गलीचों का इस्तेमाल करते है लेकिन इन गलीचों में धूल मिटटी और हानिकारक कीटाणु हो जाते है इनके इस्तेमाल से बचें। - तकिये, रजाई एवं गद्दे को हवाबंद डब्बे में रखना चाहिए, ताकि उनमें धूल प्रवेश न कर सके। तकिये, कम्बल एवं बिस्तर को नियमित रूप से 60 डिग्री सेल्सियस पर साफ करना चाहिए।
-घरों में भारी सामान एवं पर्दे लगाने से परहेज करना ही ठीक है।
-एलर्जी की शिकायत है, तो तेज असर वाली इत्र, आॅफ्टरशेव, डियोडरेंट्स एवं खुशबूदार फूलों से परहेज करना चाहिए।
-रसोई घर में चिमनी एवं एग्जाॅस्ट का प्रयोग जरूरी है। फिल्टर के साथ एयर प्यूरीफायर का उपयोग भी अच्छा विकल्प है।


Thursday, November 2, 2017

विंटर के स्टाइलिष किड्स वियर







रैम्प पर माॅडलिंग करवाती हुई बच्चों के साथ रूचि गोयल

फैषन की बात जब आती है तो आज हर कोई अप टू डेट रहना चाहता है। चाहे बच्चे हो या बड़े सभी में फैषन को लेकर काफी क्रेज देखने को मिलता है। यहां हम बच्चों के डिजाइनर कपड़ों की बात कर रहे है अब जब विंटर सीजन षुरू हो चुका है और साथ ही षादियों का सीजन भी। तो आप बच्चों की ड्ेसज को लेकर परेषान है कि सर्दी है तो फुल स्लिव्ज कपड़े पहनाने जरूरी है लेकिन वे फैषनेबल भी दिखे। यहां आपकी उलझन को दूर करने के लिए http://www.stylemylo.com  की कार्यकर्ता रूचि गोयल जो इस वेबसाइट को चलाती है इसमें छोटे बच्चे बाॅय और गर्ल दोनों की ड्ेसज की बहुत सी वैरायिटियां आपको देखने को मिलेंगी। रूचि गोयल के अनुसार आप जो भी ड्ेसज खरीदते है उसमें सबसे ज्यादा ध्यान देने वाली बात ये है कि वे बच्चों के लिए कितनी कंफर्टेबल है उसके फैब्रिक की क्वालिटी और स्टाइल बहुत ज्यादा मैटर रखता है तभी बच्चे उसे कैरी कर पाते है। http://www.stylemylo.com में आप ऐसी ही ड्ेसज देख सकते है जो स्टाइलिष भी है और कंफर्टेबल भी।

आईय कुछ ड्ेसज पर नजर डालें जिन्हे आप अपने बच्चों को पहनाकर उन्हे सर्दी से बचाने के साथ फैषनेबल बना सकते है-

बाॅयज के लिए









गल्र्स के लिए 


बच्चों में इन 10 तरीकों से डालें काम की आदतें: Good Habits

  POST पेरेंटिंग लाइफस्टाइल good habbits by   Nidhi Goel April 1 Click to share on Twitter (Opens in new window) Click to share on Facebook ...

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