Thursday, September 28, 2017

Bachchon ke liye kitna sach jaruri

बच्चों के लिए कितना सच जरूरी है

मां बाप का स्थान बच्चों की जिंदगी में बेहद अहम होता है या यूं कहे कि वे बच्चे की नींव होेते है। जिनका असर बच्चे की हर गतिविधियांे पर पड़ता है। बच्चे के लालन पालन के लिए वे कुछ भी कर गुजरने की इच्छा रखते है लेकिन आपकी कुछ कमियां या आदतें बच्चों पर काफी असर डालती है। यदि यहां हम झूठ का विवरण करे तो हकीकत में देखा जाए तो शायद ही ऐसा केाई कार्य होगा जो झूठ बोलकर ही किया जा सकता हो। परन्तु कई मानदण्डों और परस्थितियों में शायद कई बातें बच्चों से छुपाना ही श्रेयस्कर होता है। लेकिन बेवजह के वे छोटे छोटे झूठ हम जाने अनजाने बच्चों के समक्ष बोलते है इससे बच्चों की मानसिकता पर बेहद गहरा प्रभाव पड़ता है। इससे उनके अंदर सच और झूठ का महत्व ही समाप्त हो जाता है। इसका खामियाजा उनको शायद तुरंत ज्ञात नहीं होता परन्तु अपने जीवन की भावी परस्थितियों का सामना करके पता चलता हैं। जहां उन्हे कई बार शर्मिंदगी तक झेलनी पड़ सकती है। इसलिए जरूरी है कि अभिभावक कुछ बातों का ख्याल रखंे-

बच्चों के व्यक्तित्व पर पड़ता असर
बच्चों का मन एक कोमल पौधे की तरह होता है उसे आप जिस प्रकार खाद पानी यानि की विचार और शिक्षा देंगे वैसा ही उसका विकास होगा। बच्चों के व्यक्तित्व पर सबसे ज्यादा मां बाप का असर होता है। हमारे समक्ष बहुत से ऐसे माता पिता होते है जो स्वयं ही बच्चे से झूठ बुलवाते है। जैसे यदि कोई फोन आया है या फिर कोई दरवाजे पर है और मां बाप उनसे मिलने या बात करने के इच्छुक नहीं है तो वे बच्चे से बुलवा देते है कि बोल दो हम घर पर नहीं है। यह हम क्या संस्कार दे रहे हैं, बच्चों को? हम घर पर बैठे हैं, मां घर में ही है लेकिन बच्चे से कह रही है- जाकर बोल, मम्मी घर में नहीं है या कई बार कोई अन्य आया और हमने कह दिया कि बोल दे, पापा घर पर नहीं हैं, जबकि वे घर में ही बैठे हैं।अब जब बच्चा हमारे सामने, हमीं से झूठ बोलता है तो गुस्सा आता है। डांटते हुए कहते हैं- मम्मी से झूठ बोलता है, पापा से झूठ बोलता है। शर्म नहीं आती।

बच्चों में बढ़ता बढ़पन
बच्चों में समय से पहले इस कदर बढ़पन आ गया है कि वे किसी की भी कदर करना नहीं जानते इसका श्रेय भी मां बाप को ही जाता है। आरूश और कनिका दोनो को ही महौले में ज्यादा लोग पसंद नहीं करते क्योंकि वे बात बात पर बड़ों जैसा व्यवहार करते है। उनकी मां सुमन भी उन्हे कभी नहीं रोकती टोकती है पड़ोसियों से कभी गलत तरीके से कभी रौब से तो कभी किसी बात पर झूठ बोल देते है जिससे उनका ऐसा व्यवहार किसी को भी सहन नहीं होता है। और हमेशा ये बच्चे और इनके मां बाप चर्चा का विश्य बने रहते है कि बच्चों को न जाने कैसे संस्कार दिए है।‘‘ लेकिन इसमें दोश मां बाप का है क्योंकि जब बच्चा बड़ो की बातों में समय से पहले रूचि दिखाने लगता है तो जरूरी हो जाता है कि समय रहते आप बच्चे को समझाए कि क्या गलत है और क्या सही ? क्योंकि इसका सीधा असर उनके व्यक्तित्व पर पड़ेगा।

बच्चे क्यों सच बोलने से कतराते है?
शिशु मनोचिकित्सक डा0 दिपाली बत्रा के अनुसार सबसे जरूरी बात है कि बच्चा क्यों झूठ बोलता है उसे कई तरह के चाइल्ड डिर्साडर हो सकते है। अक्सर छोटे बच्चे बात बात में झूठ बोलते है इसकी वजह अमूूूमन भय,असुरक्षित माहौल आदि हो सकता है। उन्हे लगता है कि अगर वे झूठ बोलेंगे तो मां बाप के गुस्से और मारपीट से बच सकेंगे। बच्चे और पैरेंटस के बीच दूरियां भी बच्चे को अपनी कई बातें मां बाप से छुपानी पड़ जाती है। क्योंकि यदि वह पैरेंटस को सच बता देता है तो माता पिता नकारात्मक रूप से उसके सामने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते है। साथ ही इतने अधिक उत्तेजक हो जाते है कि बच्चा घबरा कर बार बार झूठ बोलने पर मजबूर हो जाता है। साथ ही बच्चे के लिए माता पिता एक रोल माॅडल की तरह होते है हमारे व्यवहार को वे बेहद ध्यान से समझते है और उनमे ढलने की कोशिश करते है ऐसे में जरूरी है कि आप पहले स्वयं पर ध्यान दें कि आप किस तरह का व्यवहार और लोगों के साथ करते है साथ ही किस तरह आप स्वयं बिना वजह के झूठ बोलकर बच्चों में भी उन्ही आदतों का विकास करते है। ऐसे में जरूरी है कि आप ऐसा माहौल बनाएं जिसमें बच्चा बिना झूठ बोलें आपसे स्वयं आकर अपनी बातों को शेयर करे। साथ ही कम से कम पूरे दिन में 20 मिनट उससे बातें करे और उसकी बातों को समझने की कोशिश करे।

सच का महत्व समझाएं
हम अक्सर बच्चों के सामने रिश्तेदारो और दोस्तों को लेकर बुराईयां कर रहे होते है। लेकिन जरूरी नहीं कि यदि फलां की बुराई करने से आप सही साबित होते है। हो सकता है कि सामने वाले में इतनी बुराईयां न हो लेकिन आप गुस्से मंे उसके बारे में गलत शब्दों का प्रयोग या झूठ बोलकर उसे गलत ठहराना चाहते हो। लेकिन इससे बच्चे के मन पर गहरा असर पड़ता है बच्चे के मन में अपने रिश्तेदारों के लिए नकारात्मक छवि बन जाती है। अगर बच्चों के व्यवहार में भी यह अवगुण आ जाए तो रिश्तेदारों और मित्रों के बीच बच्चों की छवि भी खराब होती है। लेकिन यह भी जरूरी है कि आप अपनी बुरी आदतों को सुधारने के साथ साथ बच्चों को भी अच्छी आदतें सिखाने के लिए प्रेरित करे। जिससे उनका भविश्य उज्जवल हो।

कुछ बातों पर ध्यान दें-
-अक्सर बच्चें माता पिता की नक्ल करते दिखते है। उनके सामने कुछ भी करने और बोलने से पहले हजार बार सोच लें कि आपके बच्चे पर इसका क्या असर पड़ेगा? क्योंकि बच्चे का पहला स्कूल तो घर ही होता है।
-बच्चों को समझाने के चक्कर में हम सच का सहारा न लेकर झूठ का सहारा ले लेते है।  जैसे बच्चों से झूठा वादा करना यानी उनकी मनपसंद चीज लाने को कहना और फिर न लाना, बच्चों के मन में पैरेंट्स के प्रति विश्वास कमजोर कर देता है. ऐसा करने पर बच्चा पैरेंट्स की किसी बात पर यकीन नहीं करेगा।
-याद रखें कि हमेषा षालीन भाषा का ही प्रयोग करे क्योकि इससे बच्चों पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। जैसा आचरण हम करते है बच्चे भी वैसा आचरण करते प्रयोग करते हैं, वैसी की वैसी ही भाषा एक विज्ञापन ( मनोविज्ञान) के प्रचार अभियान की तरह बच्चों के मन-मस्तिष्क में घर करती जाती है तथा बच्चा धीरे-धीरे उसे ही सच मानने लग जाता है एवं उसकी वास्तविक प्रतिभा कहीं खो-सी जाती है अत उसे कुंठित न करें।
-झूठ को चाहे जितना मरजी तोड़ मरोड़ कर पेश किया जाए पर वह सच के सामने बौना ही साबित होगा।



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