बहुत सी बीमारियां ऐसी होती है जो पैदाइयषी होती है या अनुवांषिक होती है जिनका इलाज लाइलाज होता है लेकिन कुछ बिमारियां ऐसी होती है जो हमारी लापरवाही की वजह हो सकती है साथ ही आस पास के वातावरण के कारण लेकिन इसका भुगतान हमारें षरीर को भरना पड़ता है। ऐसी ही एक बिमारी हियरिंग लाॅस जिसे हम बहरापन कहते है। इसमें हमें सामने वाले के षब्द साफ साफ सुनाई नहीं पड़ते है। साथ ही उन्हें आपके सामने तेज बोलना पड़ता है। और जहां तेज आवाज में गाने या षाॅरगुल होता है तो उस बीच तो ऐसे व्यक्तियों को जिन्हे कम सुनाई पड़ता है काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है कई जगह तो उन्हे बेहद षर्मींदगी महसूस होती है। क्योंकि ऐसे में लोग आपका मजाक भी बनाते नहीं चूकते। लेकिन यदि आप लापरवाही न बरतें हुए इसके कारणों को ध्यान में रखते हुए इस पर ध्यान दे तो आप इस समस्या से छुटकारा भी पा सकते है।
हियरिंग लाॅस
बहरापन पूर्ण या आंशिक रूप से ध्वनियों को सुनने की शक्ति का ह्रास होने की स्थिति को कहते हैं।यह एक आम बीमारी है। इस रोग में न सिर्फ सुनने की शक्ति कम हो जाती है बल्कि व्यक्ति की सामाजिक व मानसिक परेशानियां भी बढ़ जाती हैं। जब कोई व्यक्ति बोलता है, तो वह ध्वनि तरंगों के द्वारा हवा में एक कंपन पैदा करता है। यह कंपन कान के पर्दे एवं सुनने से संबंधित तीन हड्डियों-मेलियस, इन्कस एवं स्टेपीज के द्वारा आंतरिक कान में पहुंचता है और सुनने की नस द्वारा आंतरिक कान से मस्तिष्क में संप्रेषित होता है। इस कारण ध्वनि का अहसास होता है। यदि किसी कारण से ध्वनि की इन तरंगों में अवरोध पैदा हो जाता है तो बहरापन हो जाता है।
हियरिंग लॉस दो प्रकार का होता है, पहला कंडक्टिव हियरिंग लॉस और दूसरा सेंसोरीन्यूरल हियरिंग लॉस।
कंडक्टिव हियरिंग लॉस
यह कान के बाहरी और बीच के हिस्से में आई किसी समस्या की वजह से होता है। इसे बीमारी की वजह से होने वाला बहरापन भी कह सकते हैं।
वजह
- कानों से पस बहना या इन्फेक्शन
- कानों की हड्डी में कोई गड़बड़ी
- कान के पर्दे का डैमेज हो जाना
- ट्यूमर, जो कैंसर नहीं होते
सेंसरीन्यूरल हियरिंग लॉस
यह कान के अंदरूनी हिस्से में आई किसी गड़बड़ी की वजह से होता है। ऐसा तब होता है, जब हियर सेल्स नष्ट होने लगते हैं या ठीक से काम नहीं करते। दरअसल, कान में तकरीबन 15 हजार स्पेशल हियरिंग सेल्स होते हैं। इनके बाद नर्व्स होती हैं। हियर सेल्स को नर्व्स की शुरुआत कहा जा सकता है। इन्हीं की वजह से हम सुन पाते हैं, लेकिन उम्र बढ़ने के साथ-साथ ये सेल्स नष्ट होने लगते हैं, जिससे नर्व्स भी कमजोर पड़ जाती हैं और सुनने की शक्ति कम होती जाती है।
हियरिंग लाॅस के कारण
-बढ़ती उम्र में तो ज्यादातर लोगों को कम सुनने की क्षमता होने लगती है।
क्योंकि आपकी नसें कमजोर पड़ जाती है।
-बहुत देर तक यदि आपको कानों में ईयर फोन लगा कर गाने की आदत है तेा ये आदत आपको दिक्कत में डाल सकती है इससे आपके कानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है।
वजह
-कई प्रकार की दवाएं जो बहरेपन का कारण बन सकती है। कुछ खास तरह की दवाएं मसलन जेंटामाइसिन का इंजेक्शन। बैक्टीरियल इन्फेक्शन आदि में इस्तेमाल
-हाॅर्मोंस असंतुलन भी इसकी वजह बन सकता है। साथ ही खसरा,कंठमाला,मेनिंजाइटिस आदि में सुनने की क्षमता पर असर हो सकता है।
-यदि आपको तेज आवाज में टीवी देखने या गाने सुनने की आदत है तब भी आप इस बिमारी का षिकार बन सकते है।
-प्रेग्नेंसी के समय कई बार महिलाएं सावधानी नहीं बरततीं, जिससे गर्भ में पल रहे शिशु को यह समस्या हो जाती है।
-हाई ब्लड प्रेशर, दिमागी बुखार या फिर ज्यादा शोर-शराबे वाला माहौल भी इसका एक मुख्य कारण है।
-कान में तेल, ईयरबड, पिन, पेन आदि जैसी चीजें डालने पर।
इनके अलावा और भी कई कारण-
- सर्दी लग जाना।
-कान में चोंट लगना
- कान में कीडा घुस जाना या संक्रमण होना।
- कान में अधिक मैल
-नहाते समय कान में पानी प्रविष्ठ होना।
- अधिक मोबाइल का उपयोग
-गलत दवाईयों का सेवन
-कान में हड्डियोंका विकास आदि।
हियरिंग लाॅस के लक्षण
आरम्भ में हमें बहरेपन का ज्यादा महसूस नहीं होता है। लेकिन धीरे धीरे इसके लक्षण हमारे सामने आने लगते है जिन्हे आप तुरंत समझ जाए तो अच्छा है साथ ही इसे नजरअंदाज किए बिना डाॅक्टर के पास जाकर इसका भली प्रकार से इलाज कराएं-
-ऐसा महसूस होता है कि कान में सिटी सी बज रही है
-काफी कम सुनने लगता है या उंचा सुनाई देता है।
-तेज आवाज में आप टीवी और गाने सुनते है क्योंकि आपको कम आवाज में कुछ समझ नहीं आता है।
-दूसरों से बात करने में आप असमर्थ सा महसूस करते है।,
- बातचीत में बार-बार लोगों से पूछना कि उन्होंने क्या कहा
- फोन पर सुनने में दिक्कत होना
- नवजात बच्चे का आवाज न सुन पाना
-कान का भारि होना
सावधानी बरतें
यदि आपको भी कम सुनने की परेषानी से बचना है तो जरूरी है कि कुछ सावधानियां बरतें जिससे आप इस समस्या से बच सके।
-यदि आप किसी ऐसी जगह कार्य करते जहां तेज आवाज रहती है तो कानों में रूई या ईयर प्लग लगाकर रह सकते है।
-ध्यान रहें कभी भी कान में सरसो का या कोई अन्य तेल न डाले।
-कान कोई भी चीज जैसे तिल्ली या पिन न डालकर साफ करे।
-स्नान करते समय ध्यान रखना चाहिए कि साबुन या पानी कान में न जा पाए क्योंकि इससे भी बहरापन हो सकता है।
-टी.वी या गानों को तेज आवाज में नहीं सुनना चाहिए क्योंकि इससे कानों की नसों पर असर पड़ता है। कानों की नसें खराब होने पर यह रोग ठीक होना मुश्किल हो जाता है।
-कानों में किसी भी तरह के रोग होने पर इलाज में देरी ना करें, क्योंकि वक्त पर इलाज होने से यह रोग बिल्कुल खत्म हो सकता है।
कानों को नुकसान पहुंचाने वाली चीजों से बचना चाहिए।
इलाज
-कान में इंफेक्षन के कारण सुनने में दिक्कत आने से उसे दवाओं के जरिए ठीक किया जा सकता है।
-यदि कान के पर्दा किसी कारणवष क्षतिग्रस्त हो गया है तो उसे भी सर्जरी के जरिए ठीक किया जा सकता है।
-लेकिन यदि नर्वस में किसी वजह से सुनने की क्षमता में दिक्कत आई है तो उसे ठीक करना बेहद मुष्किल है। इसके लिए हियररिंग एड का इस्तेमाल किया जाता है।
डा0 षलभ षर्मा इएनटी स्पेषलिस्ट