हमारी जिंदगी हमारे लिए बेहद महत्व रखती है लेकिन आए दिन हम कुछ ऐसी चीजों को नजरअंदाज करने का प्रयास करते है जो आगे चलकर बेहद घातक सिद्ध होती है। दो पहिये वाहन पर सवार चालाक यह सोचकर की क्या फर्क पड़ता है यदि हेल्मेट नहीं लगाया लेकिन उसका नतीजा न जाने कितने ही लोग मस्तिष्क पर चोट लगने से अपना जीवन गवां देते है। यां फिर आगे चलकर उसी चोट के कारण उन्हे ब्रेन से सम्बन्धित गम्भीर बिमारियों का सामना करना पड़ जाता है। लेकिन जरूरी नहीं कि किसी बड़ी दुर्घटना के चलते ही मस्तिष्क आघात होता है. कई मामलों में सर पर बार बार लगी छोटी छोटी चोटें भी आगे चलकर गंभीर समस्या का रूप ले लेती हैं। बहुत से ऐसे में मामले आए दिन डाॅक्टरों के सामने आते है जो बचपन में लगी अंदरूनी चोट के होते है जिनका असर युवावस्था या प्रौढ़वस्था में दिखाई देता है। जरूरी है कि आप बे्रन इंजरी से पूरी तरह अवगत हो सके जिससे एक बड़ी दुर्घटना से बच सके।
मस्तिष्क में लगी चोट
दिमाग ही है जो हमारे षरीर की सचेत और अचेत क्रियाओं के लिए नियंत्रण केंद्र के रूप में कार्य करता है हमारा चलना फिरना,बोलना साथ ही संास लेना,धडकन और भावनाओं सभी में उसकी मुख्य भागीदारी होती है। लेकिन मस्तिष्क पर जोरदार चोट लगने से इन तमाम क्रियाओं पर क्षति पहंुच सकती है। खोपड़ी और चेहरा समेत सिर, मस्तिष्क को सुरक्षा प्रदान करता है। हड्डियों से सुरक्षा प्रदान करने के अलावा मस्तिष्क सख्त रेशेदार परतों से ढका रहता है और इसके चारों ओर तरल पदार्थ होता है।
सेरेब्रोस्पाइनल फलुइड से बने मानव मस्तिष्क पर जब चोट लगती है तो वो खोपड़ी की कठोर संरक्षक दीवार से टकराती है इस टक्कर से तंत्रिकाओं ,मस्तिष्क कोषिकाआं और रक्त वाहिकाओं को काफी नुकसान पहंुच सकता है। सिर में जब कोई चोट लगती है, तब यह जरूरी नहीं है कि उस चोट के निशान स्कल व खोपड़ी पर दिखायी ही दें। बावजूद इसके, मस्तिष्क के कार्यो को क्षति पहुंच सकती है। जिससे मस्तिष्क में खून के थक्के जम सकते है या फिर मस्तिष्क में आघात के कारण मस्तिष्क के आसपास के भागों में रक्तस्राव होने की संभावना होती है। और ज्यादा गंभीर चोट के मामलों में मस्तिष्क पर दबाव बढ़ने से वो सिकुड़ कर छोटा हो सकता है जिससे स्थाई रूप से विकलांग होने या जान तक जाने का खतरा होता है।
दिमागी चोट के गंभीर परिणाम
दिमागी चोट बेहद गंभीर हो सकती है इससे षारीरिक एंव मानसिक क्रियाओं पर जीवन भर के लिए खतरनाक असर पड़ सकता है। इसमें चेतना खत्म होना, याददाश्त और व्यक्तित्व उलटना, आंशिक या पूर्ण लकवा शामिल है। साथ ही दिमाग में लगी चोेट कई सालों पहले की चोट के कारण व्यक्ति को मानसिक रोगी बना रही है। इसका कारण दिमाग में अल्जाइमर से संबंधित प्रोटीन मस्तिष्क में स्थायी जगह बना लेता है जो बाद में कई सालों बाद भी व्यक्ति को मानसिक रोगी बना देता है। दिमाग पर चोट लगने पर साथ ही सही से इलाज न होने पर व्यक्तियों में डिमेंषिया रोग (स्मृति लोप, एकाग्रता समाप्त होना, असामान्य व्यवहार) होने का खतरा बढ़ जाता है। दुर्घटना में सिर में चोट लगने पर फाइबर के ऐसे गुच्छे या परत दिमाग में बन जाती हैं जो सामान्य तकनीक से पकड़ में नहीं आ पाते. चोट का शिकार व्यक्ति यह सोच कर निश्चिंत हो जाता है कि वह ठीक हो चुका और सामान्य तौर पर चिकित्सक भी निश्चित अवधि की दवा देकर आत्म संतोष कर लेते हैं. चोट से पूरी तरह आराम मिलना ही काफी नहीं, बल्कि उसका इलाज पूरी तरह से करवाया जाए जिससे कि भविष्य में कोई अन्य दुष्प्रभाव दिखाई न दे।
लक्षण
कई बार सिर पर लगी चोट आपतकालीन स्थिति पैदा कर सकती है ऐसे में जरूरी है कि आप सोच समझ के काम ले जिससे मरीज की जान बचायी जा सके।
-यदि चोट लगने के तुरंत बाद मरीज बेहोष हो जाए उसकी चेतना कम होती नजर आए।
-सिर पर किसी तरह की खरोंच या जख्म दिखाई दे रहा हो।
-तेज सिर में दर्द या सूजन महसूस हो रही हो।
-मरीज अपना होष खो बैठे।
-उसके व्यवहार में कुछ बदलाव आ जाए
-षरीर का तापमान बढ़ सकता है।
-चोट लगने के बाद अचेत हो जाना।
-सांस का ठीक प्रकार से ना चलना।
-नाक कान या मुंह से लगातार खून आना।
-बोलने या देखने में होने वाली परेशानी।
-गर्दन में दर्द
-2 से 3 बार उल्टियां होना।
उपचार
यदि चोट गम्भीर लगती है तो डाॅक्टर एक्स रे या फिर अत्याधुनिक तकनीक वाले 3 डी स्कैनर्स का इस्तेमाल करके चोट की गंभीरता का पता लगाने की कोशिश करते हैं. आघात कितना गहरा है। उसके हिसाब से उसका आगे इलाज किया जाता है। कुछ मामलों में दवाईयों के जरिए चोट का उपचार किया जाता है जिससे मस्तिष्क में बढ़ते हुए दबाव को थेाड़ा कम किया जा सके। लेकिन कई मामलों में सर्जरी करनी जरूरी हो जाती है।
सावधानी जरूरी
सिर में चोट के गम्भीर मामले ज्यादातर सड़क दुर्घटनाओं में ही देखने को मिलते है। सड़क हादसे के 72 फीसद पीड़ित दो पहिया वाहन से दुर्घटना होने के कारण जख्मी होते हैं। इसलिए मोटरसाइकिल या स्कूटरी चलाते वक्त हेलमेट का इस्तेमाल जरूर करें। मस्तिष्क के बचाव के लिए अपनी सुरक्षा के लिए खुद जागरूक होना जरूरी है।
सिर की चोट से बचने के लिए हेलमेट और सीट बेल्ट लगाना, संयमित गति से गाड़ी चलाना , नशे में वाहन न चलाना जरूरी है।
न्यूरोलाॅजिस्ट डाॅ0 संजय के आर चैधरी से बातचीत पर आधारित
No comments:
Post a Comment