Friday, October 27, 2017

सर्दियों में न करे रक्तचाप की अनदेखी



वर्तमान काल में आवष्यकताओं की पूर्ति के लिए हर कोई बेहद व्यस्त है। जरूरतों को पूरा करने के चक्कर में कहीं ऐसा तो नहीं आपकी उम्र समय से पहले कम होती जा रही है या यूं कहे आपकी सेहत पर इस कदर जरूरतें हावी हो गई कि आपको ये ख्याल नहीं है कि आप कब बिमारियों की चपेट में आ गए है। आपका रहन सहन,खान पान और व्यायाम सभी इस पर निर्भर करता है कि स्वयं पर आप कितना ध्यान दे पाते है। बिमारियों में जो आजकल सबसे ज्यादा देखने में आती है वह है रक्तचाप की समस्या और ये समस्या सर्दियों में अनदेखी करने से और भी अधिक दुखदायी हो जाती है। सर्दियों में ज्यादातर लोगों को हाई ब्लड प्रेषर का डर रहता है। क्योंकि ठंडे तापमान की वजह से षरीर के ब्लड सेल्स पतले होने लगते है जिसमें रक्त संचार के लिए अधिक प्रेषर लगता है। आईए जानिए रक्त चाप से सम्बन्धित महत्वपूर्ण बातें-

रक्तचाप
रक्तचाप या ब्लड प्रेशर रक्तवाहिनियों में बहते रक्त द्वारा वाहिनियों की दीवारों पर डाले गए दबाव को कहते हैं। धमनी वह नलिका होती हैं जो रक्त को हृदय से शरीर के विभिन्न हिस्सों तक ले जाती है।  हृदय रक्त को धमनियों में पंप करता है। किसी भी व्यक्ति का रक्तचाप सिस्टोलिक और डायस्टोलिक रक्तचाप के रूप में जाना जाता है। जैसे 120/80 सिस्टोलिक अर्थात ऊपर की संख्या धमनियों में दाब को दर्शाती है। इसमें हृदय की मांसपेशियाँ संकुचित होकर धमनियों में रक्त को पंप करती है।  डायस्टोलिक रक्तचाप अर्थात नीचे वाली संख्या धमनियों में उस दाब को दर्शाती है जब संकुचन के बाद हृदय की मांसपेशियाँ शिथिल हो जाती हैं। रक्तचाप उस समय अधिक होता है जब हृदय रक्त को धमनियों में पंप करता है। एक स्वस्थ व्यक्ति का सिस्टोलिक रक्तचाप 90 और 120 मिलीमीटर के बीच होता है। सामान्य डायस्टोलिक रक्तचाप 60 से 80 मिमी के बीच होता है। रक्तचाप संबंधी दो प्रकार की समस्याएँ देखने में आती हैं- एक निम्न रक्तचाप और दूसरी उच्च रक्तचाप।

उच्च रक्तचाप और उसके लक्षण
ज्यादातर उच्च रक्तचाप की अवस्था तब आती है जब धमनियों में रक्त का दबाव बढ़ जाता है जिसके कारण हृदय को सामान्य से ज्यादा कार्य करना पड़ता है। इस अवस्था केा हाइपरटेंषन भी कहते है। ये एक ऐसे ज्वालामुखी की तरह होता है जो पहले तो षांत दिखता है लेकिन फटता है तो हार्टटेक,किडनी और षरीर के किसी अंग जैसे अवसाद पैदा कर देता है। साथ ही ठंड में यदि बीपी मरीज ध्यान न दे तो ठंड लगने से दिमाग की नसें सिकुड़ने लगती हैं। चक्कर आने लगता है और ब्रेन हेमरेज होने की संभावना बढ़ जाती है।
इसके लक्षण
- सिर में भारीपन, चक्कर आना, दर्द रहना
- आलस आना, नींद न आना, जी घबराना,उल्टी या मितलाई
- जरा-सी दौड़-भाग करने पर सांस फूलना
- हाथ-पैरों में दर्द रहना
-चलते समय आँखों के सामने अँधेरा छाना
-हृदय दर्द होना

ऐसे लोग जिनमें ये समस्या अधिकतर देखने को मिलती है-
उच्च रक्तचाप की समस्या अधिकतर उन लोगों में पाई जाती है जिनका रहन सहन और खान पान सही नहीं है। खाने में अधिक नमक और वसा का इस्तेमाल इसको और अधिक बढ़ावा देता है। व्यायाम सही प्रकार से नहीं करना और आॅफिस या घर में ज्यादातर बैठे रहने का कार्य मोटापे को बढ़ाता है। मोटापे से ग्रस्त व्यक्ति ज्यादातर इसके षिकार होते है। साथ ही उन व्यक्तियों में जिनमें मधुमेह,हार्मोनल परिवर्तन,आनुवंषिक कारण,धुम्रपान और षराब आदि इस समस्या से ग्रस्त है उनमे बी पी की समस्या देखने को मिलती है। सर्दियों में अक्सर लोग सोचते है कि गर्म चीजे जैसे तील,गुड़ आदि लेने से षरीर में गर्मी आएगी लेकिन इनकी अत्यधिक मात्रा से षुगर लेवल और रक्तचाप की समस्या और अधिक बढ़ जाती है।

निम्न रक्तचाप और उसके लक्षण
निम्न रक्तचाप वह दाब है जिससे धमनियों और नसों में रक्त का प्रवाह कम होने के लक्षण या संकेत दिखाई देते हैं। जब रक्त का प्रवाह काफी कम होता है तो मस्तिष्क, हृदय तथा गुर्दे जैसी महत्वपूर्ण इंद्रियों में ऑक्सीजन और पौष्टिक पदार्थ नहीं पहुँच पाते। इससे यह अंग सामान्य कामकाज नहीं कर पाते और स्थाई रूप से क्षतिग्रस्त होने की आशंका बढ़ जाती है। 
लक्षण -
थकान महसूस होना, याददाश्त कमजोर होना, किसी भी काम में मन न लगना,
रोगी की धड़कन की गति कम हो जाती है,चक्कर आना,चिड़चिड़ापन,घबराहट,आलस आदि होना,नाड़ी की गति कम होना,कभी कभी बेहोश भी हो सकते है,ज्यादा पसीना आना,भूख न लगना,दिल घबराना,हाथ पैरो का ठंडा पड़ जाना,थोड़ा सा भी काम करने पर दिल का जोरो से धड़कना।

ऐसे लोग जिनमें ये समस्या अधिकतर देखने को मिलती है-
अक्सर कार्य में व्यस्त होने के कारण भोजन को सही समय पर नहीं करना या यूं कहे कि नाष्ता और दोपहर का भोजन एक ही समय पर कर लेना। जिससे शरीर में नमक व पानी की कमी होने पर रक्तचाप निम्न हो जाता है। काफी समय तक निराषा महसूस होना साथ ही लम्बे समय तक बीमार रहने पर भी आई कमजोरी रक्तचाप का कारण बनती दिखती है। इसके अलावा षरीर में विटामिन बी और सी की कमी होना,बासी और असंतुलित भोजन करने से,गर्भावस्था में खून की कमी होने पर,अनीमिया ,टी बी रोग जिनको होते है, उनका रक्तचाप भी निम्न रह सकता है,अधिक मासिक स्त्राव के दौरान भी रक्तचाप निम्न हो सकता है,कब्ज की परेशानी भी निम्न रक्तचाप व् अन्य बीमारियो को आमंत्रित करती है।

उच्च रक्तचाप से बचाव के लिए
- वजन को कंट्रोल में रखें।
- खाने में नमक की मात्रा कम रखें।
- चीनी, चावल और मैदा से परहेज करें।
- शराब और स्मोकिंग से परहेज करें।
- नियमित एक्सरसाइज करें।
-कोलेस्ट्रॉल की जांच कराएं।
-लाइफ स्टाइल बदलें।
 -तली चीजें और जंक फूड नहीं खाएं।
-तनाव या चिंता का पता लगाएं और लाइफ स्टाइल को कंट्रोल में रखें।
-डाॅक्टर से सलाह लेते रहे। साथ ही अपनी जांच करवाते रहे।

निम्न रक्तचाप से बचाव के लिए
-अधिक परिश्रम वाला काम न करे।
-अधिक मात्रा में पानी पिए।
-अधिक समय तक धूप या गर्मी वाले स्थान पर न रहे।
-तला हुआ व् मिर्च मसालेदार भोजन से परहेज करे।
-रात के समय चाय या कॉफी का सेवन न करे।
-एक ही बार में ज्यादा न खाए,अपितु थोड़ा थोड़ा खाना, थोड़े थोड़े अंतराल में खाते रहे।
-निम्न रक्तचाप होने पर नमक व् घी का अधिक मात्रा में सेवन करे।
-पानी ,सूप आदि का अधिक मात्रा में सेवन करे।
-रक्तचाप की समस्या दिखते ही तुरंत डाॅक्टर से सम्पर्क करे।


जर्नल फिजिषियन डी.के.चैहान से बातचीत पर आधारित

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