सर्दियों में हमें बहुत सी बिमारियों का सामना करता है। जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है उन्हे बिमारियों का ज्यादा सामना करना पड़ता है। आजकल सर्दियों में सबसे ज्यादा जो वायरस फैलता हुआ दिखता है वह है इन्फ्लूएंजा। इन्फ्लूएंजा को हम फ्लू के नाम से भी जानते हैं। यह एक विशेष समूह के वायरस के कारण मानव समुदाय में होने वाला एक संक्रामक रोग है। इसकी षुरूआत खासी,झुकाम और हल्के बुखार के साथ होती है ध्यान नहीं दिया जाए तो ये बीमारी घातक रूप धारण कर लेती है। हम अक्सर ये सोच कर लापरवाही कर बैठते है कि खासी झुकाम ही तो है लेकिन इस लापरवाही का भुगतान षरीर को उठाना पड़ता है।
इन्फ्लूएंजा क्या है
इन्फ्लूएंजा एक तरह का वायरस है जो हमारी ष्वसन तंत्र का एक अत्यंत संक्रामक रोग होता है। फलू तीन प्रकार के होता है ए,बी,सी। इनमें से ए और बी इन्फ्लूएंजा का कारण बनता है। जबकि टाइप सी भी फलू के लक्षणों को दर्षाता है लेकिन इस तरह का फलू कम देखने को मिलता है। इन्फ्लूएंजा वायरस हमारे षरीर में नाक,आंख और मुंह के द्वारा प्रवेष करता है। साथ ही ये एक से दूसरे व्यक्ति में खांसने, छींकने या उसके संपर्क में रहने से फैल जाता यदि घर में कोई एक सदस्य इस बीमारी से पीड़ित हो गया है तो और सदस्य भी इससे अछूते नहीं रह पाते है।
इसके लक्षण
-इसमें अक्सर थकान महसूस होती है षरीर अस्वस्थ रहता है।
-गले में कफ का जमाव रहता है कुछ भी निगलने में दिक्कत आती है।
- बेहद कमजोरी महसूस होने लगती है थोड़ा चलने पर या कोई कार्य करने पर चक्कर आने लगते है।
-ठंड लगती है साथ ही बुखार होता है बुखार तेज या कम हो सकता है। बुखार 100 से 103 डिग्री तक हो सकता है। लेकिन जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है वैसे-वैसे बुखार 106 डिग्री तक पहुंच जाता है।
-काफी नजला हो जाता है बेहद छींके आती है सांस लेने में परेषानी महसूस होने लगती है। साथ ही सांस फूलने लगता है।
-त्वचा का नीला पड़ना
-मांसपेशियों में दर्द,सिर दर्द होना आदि।
इन्फ्लूएंजा का उपचार
-ऊष्मा का प्रयोग इस बीमारी में हुई अकड़न और दर्द से राहत पहुँचाता है।इलेक्ट्रिक हीटिंग पैड उपयोग करें या फिर बोतल में गर्म पानी भरकर छाती, पीठ या जहाँ दर्द हो वहां पर रखें।
-बुखार होने से शरीर में निर्जलीकरण हो जाता है, इस कमी को पूरा करने और बीमारी से निजात पाने के लिए सामान्य से अधिक तरल लेने की जरुरत होती है।गर्म तरल पदार्थ जैसे कि चाय या गुनगुना निम्बू पानी पीजिये। जिससे शरीर में जल की पूर्ति के साथ-साथ गले को आराम मिलता है तथा साइनस साफ होने में आसानी होती है।
-पानी में अजवाइन डालकर उबाल लें और जब तक पानी आधा न रह जाए इसे उबलने दें। पानी का सेवन समय-समय पर करते रहें। पानी का सेवन उबाल कर करें।
- जड़ी-बूटी(हर्ब्स) बीमारी में शरीर का तापमान कम करने में सहायक माने जाते हैं। इन्हें काढ़े के रूप में लें।
-इसमें ठंडा और बासी खाने से दूरी बना कर रखें।शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाने वाले खाद्य पदार्थो का सेवन करें।
-गर्म पानी से स्नान कीजिये. गर्म पानी की भाप से कफ ढीली होती है
-सबसे ज्यादा जरूरी है कि बीमार पड़ने पर अपने स्वच्छता पर ध्यान दें तभी आप जल्द सही हो पाएंगे। जैसे हाथ को धोकर खाना खाए साथ ही उन्हे धोने के बाद सुखा कर रखे।
- यदि आप व्यायाम रोज करते है तो इस तरह के व्यायाम करे जिससे आपका षरीर थकान महसूस न करे।
-अपने शरीर को जितना हो सके आराम दें।
-नाक बंद होने पर सिर के निचे तकिया रखकर सोने से आराम मिलता है।
-ऐसे में स्टीम लेना बेहद फायदेमंद साबित होता है क्योंकि आपको काफी जुकाम होने के कारण सांस लेने में तकलीफ होती है तो स्टीम से आपकी नाक भी खुलती है साथ ही कफ नीचे उतरता है।
लापरवाही बरतने पर-
- युवा, बच्चों तथा 65 की उम्र से अधिक के बुजुर्गों में जटिलता हो सकती है।
- गर्भवती महिलाओं को भी फ्लू का खतरा ज्यादा रहता है।
- इंफ्लूएंजा से निमोनिया, कान में संक्रमण, साइनस संक्रमण और ब्रोंकाइटिस का खतरा बढ़ जाता है।
- यदि उच्च श्रेणी का फ्लू हो तो, एंटीवायरल दवाएं उपयुक्त रहती हैं, अन्यथा व्यक्ति की मौत भी हो सकती है।
इंफ्लूएंजा की रोकथाम के लिए-
मौसम के पहले टीकाकरण करवायें
इंफ्लूएंजा का टीका अक्सर डाक्टर द्वारा दी जाती है।ये फ्लू न होने की गारंटी तो नहीं देते परन्तु अन्य प्रकार के वायरस से रक्षा करते हैं।
साफ सफाई पर ध्यान दें
नित्य हाथ धोने की आदत डालिए, विशेष रूप से सार्वजिनक स्थान से वापस आने पर हाथ धोना, इंफ्लूएंजा से संक्रमित होने से बचने का बेहतरीन तरीका है। हमेशा अपने साथ जीवाणुरोधी वाइप्स रखिये जिसका उपयोग ऐसी जगह पर किया जाता है जहाँ साबुन और सिंक न हो।
स्वस्थता पर ध्यान दें
अच्छा आहार, शरीर के आवश्यक पोषक तत्त्व तथा विटामिन की पूर्ति, शारीरिक व्यायाम इत्यादि इंफ्लूएंजा से रक्षा में सहायक हैं। अगर फिर भी इसका हमला हो तो शरीर बीमारी से निपटने में तैयार रहता हैं।
चेतावनी-
डाक्टर को दिखाएं अगर फ्लू में 102 डिग्री से ज्यादा बुखार, छाती में दर्द, सांस लेने में तकलीफ या मूर्छा जैसे लक्षण दिखे। इसके अलावा लक्षणों में 10 दिनों के भीतर सुधार न दिखाई देने पर या उनके काफी खराब होने पर भी डाक्टर को दिखाएं।
फिजीशन डाॅ0 डी के चैहान से बातचीत पर आधारित