इस सर्दी घर में प्रदूषण को कम करे अपनाएं ये उपाएं-
सर्दियों के आरम्भ से ही प्रदूषण की समस्या घातक रूप ले लेती है। यातायात और वाहन भीड़ की वजह से भारत में वायु प्रदूषण एक प्रमुख मुद्दा बन गया है। यदि आप मोर्निंग वाॅक के षौकीन है तो आपको अपने मन को समझाना पड़ता है कि बाहर सेहत बनेंगी नहीं बिगड़ेगी। आप बाहर निकलते समय तो दस बार सोचते है कि प्रदूषण से कैसे बच पाएंगे। लेकिन क्या आपको पता है कि आपका घर जिसे आप सुरक्षित समझ रहे है वह भी प्रदूषण से अछूता नहीं है। घर में बहुत सी ऐसी चीजें है जिससे वायु प्रदूषण फैलता है और जिनके कारण आप बार बार बिमार पड़ते है। हम अक्सर बाहरी वातावरण के वायु प्रदूषण (आउटडोर पाॅल्यूशन) की बातें करते हैं, लेकिन मानव स्वास्थ्य के लिए घरेलू प्रदूषण (इनडोर पाॅल्यूशन) भी कम खतरनाक नहीं है, सम्भवतः ज्यादा ही। घर के अंदर के प्रदूषण की मुख्य वजहें वेंटिलेशन की उचित सुविधा नहीं होना, उच्च तापमान और सीलन का स्तर हंै। अगर घर में रहने वाले लोगों की संख्या ज्यादा हो और रहने के लिए स्थान अपर्याप्त, तो स्थिति और भी खराब हो जाती है। यहां हम आपको बता रहे है कि किन मुख्य कारणों से घर में वायु प्रदूषण फैलता है और आप इसका समाधान कैसे निकाल सकते है-
वेंटिलेषन
घरों में सबसे बड़ी परेषानी एयर वेंटिलेषन की है क्योंकि घर का वेंटिलेषन ही सही नहीं होगा तो समस्या और बढ़ जाएगी। वैसे तो हम सर्दियों में घरों के खिड़की दरवाजे बंद ही रखते है कही न कही ये जरूरी भी हो जाता है क्योंकि आपके घर के आसपास यदि प्रदूषण ज्यादा है तो खिड़की दरवाजे बंद रखना ही सही है लेकिन यदि आसपास का क्षेत्र धुआं मुक्त है, तो खिड़कियां खोल कर घर के अंदर के हवा की गुणवत्ता में सुधार करने का अवसर ले। आप खिड़की की जाली स्क्रीन लगा सकते है जो न केवल धूल कणों और पराग के खिलाफ एक इष्टतम फिल्टर के रूप में कार्य करेगा , बल्कि कीड़ों को अपने घर से बाहर रखने में भी प्रभावी हो सकते हैं।
सुगंधित अगरबत्ती
हर घर में रोजाना सुबह पूजा करते समय अगरबत्ती जरूर जलाई जाती है और खासतौर पर त्योहारों के मौसम में इनकी मात्रा काफी बढ़ जाती है। इन अगरबत्ती से कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसे हानिकारक गैस निकलते हैं जिससे घर का माहौल प्रदूषित होता है। ऐसे माहौल में ज्यादा दिन रहने से आपको सीओपीडी और अस्थमा जैसी बीमारियां हो सकती हैं।
वैक्यूम क्लीनर
अक्सर हम घर को साफ करने के लिए वैक्यूम क्लीनर का इस्तेमाल करते हे। लेकिन षायद आपको पता नहीं कि वैक्यूम क्लीनकर के इस्तेमाल से धूल और कीटाणु घर में हवा के कणों में घुल-मिल जाते हैं, ये सांसों के जरिए शरीर में प्रवेश करते हैं। क्लोस्ट्रिडियम बोट्यूलिज्म नामक बैक्टीरिया वातावरण में घुलता है जो बच्चों को संक्रमित कर सकता है। यह संक्रमण बच्चों के लिए जानलेवा भी हो सकता है।जिन घरों में वैक्यूम क्लीनर का इस्तेमाल अधिक होता है उनमें यह बैक्टीरिया अधिक होता है जो दमा के मरीजों, बच्चों और कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों पर हावी होने के लिए काफी है।
समाधान
वैक्यूम क्लीनर को रोजमर्रा में इस्तेमाल में न लाए महीने या पंद्रह दिनों में आप इससे घर की सफाई कर सकते है जिससे आपके घर की वायु प्रदषित होने से बच सकेगी।
सफाई में इस्तेामाल होने वाले उत्पाद
साफ सफाई के लिए घरों मे बहुत उत्पादों का इस्तेमाल किया जाता है। इनमें हाइड्ोक्लोरिड एसिड मिला होता है। जब हम इसका ज्यादा इस्तेमाल करते है तो इनसे हमे बहुत सी परेषानियों सामना करना पड़ता है बहुत से लोग शौचालय क्लीनर, कालीन क्लीनर और ओवन क्लीनर के संपर्क में आते हैं तो आंखों और त्वचा में जलन का अनुभव करते है। जलन के अलावा, यह गुर्दे और फेफड़ों से संबंधित समस्याओं का कारण भी बनता है। इसका अत्यधिक उपयोग हमारे स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है।
समाधान
बेषक ये उत्पाद हमें नुकसान पहुंचाते है लेकिन घर की साफ सफाई के लिए इनको इस्तेमाल करना हमारी मजबूरी बन गया है लेकिन सावधानीपूर्वक इनका इस्तेमाल करके हम इनके बुरे प्रभाव से बच सकते हैं।
पैसिव स्मोकिंग
इस स्थिति में व्यक्ति विशेष खुद धूम्रपान नहीं करता लेकिन दूसरे के धूम्रपान करने पर वह उसके धुएं को सांस के जरिए अंदर लेने पर मजबूर होता है।विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार बच्चे घरों में पैसिव स्मोकिंग के सबसे ज्यादा शिकार होते हैं। बच्चों की रक्त नलिकाओं की दीवारें मोटी होने लगती हैं और उन्हें दिल का दौरा पड़ने व स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। इससे गर्भस्थ शिशु मंदबुद्धि या विकलांग पैदा हो सकता है।
समाधान
घर में धूम्रपान न करने दें।
चिमनी
सर्दियां षुरू होते ही खाया भी खूब जाता है और बनाया भी। ऐसे में घर में धूएं की समस्या होना लाजमी है। लेकिन यदि आपके किचन में चिमनी लगी है तो आप धूएं से होने वाले घर में प्रदूषण से बच सकते है लेकिन लम्बे समय तक सफाई न करने से चिमनी के अंदर लगे फिल्टर पर धुआं और तेल जम जाता है, जिससे चिमनी धुएं को बाहर फेंकने के बजाय वापस किचन में ही फेंक देती है। जो सेहत की दृष्टि बेहद खतरनाक है।
समाधान
जरूरी है कि समय-समय पर चिमनी की सफाई कराई जाए जिससे आपका घर प्रदूषित होने से बच सके।
एयर फ्रेशनर
बहुत से लोगों को तो एयर फ्रेषनर से एलर्जी होती है ये भी एक तरह के घर में वायू प्रदूषण के कारण है। क्योंकि इसमें फॉर्मैल्डहाइड जैसे रसायनों की उच्च मात्रा पाई जाती है। इसमें मौजूद इन हानिकारक पदार्थों की वजह से हमारे तंत्रिका पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। जिससे श्वास संबंधी समस्या होने का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा, यह त्वचा के लिए बहुत खतरनाक होता है।
समाधान
इनका इस्तेमाल जितना हो सके कम करे क्योंकि जरूरी नहीं जिन्हे परेषानी है वहीं इनका इस्तेमाल न करे लेकिन और लोगों के लिए भी ये कम खतरनाक नही है।
साथ ही कुछ और बातों को ख्याल रखकर घर को प्रदूषण रहित बनाएं-
-घरों के अंदर प्रदूषण न हो, इसके लिए कमरों को हवादार बनाए रखने की जरूरत है।
-पालतू पशुओं को घरों से बाहर रखना चाहिए।
-सर्दियों में अधिकतर घरों में गलीचों का इस्तेमाल किया जाता है या फिर इंटीरियर के लिए गलीचों का इस्तेमाल करते है लेकिन इन गलीचों में धूल मिटटी और हानिकारक कीटाणु हो जाते है इनके इस्तेमाल से बचें। - तकिये, रजाई एवं गद्दे को हवाबंद डब्बे में रखना चाहिए, ताकि उनमें धूल प्रवेश न कर सके। तकिये, कम्बल एवं बिस्तर को नियमित रूप से 60 डिग्री सेल्सियस पर साफ करना चाहिए।
-घरों में भारी सामान एवं पर्दे लगाने से परहेज करना ही ठीक है।
-एलर्जी की शिकायत है, तो तेज असर वाली इत्र, आॅफ्टरशेव, डियोडरेंट्स एवं खुशबूदार फूलों से परहेज करना चाहिए।
-रसोई घर में चिमनी एवं एग्जाॅस्ट का प्रयोग जरूरी है। फिल्टर के साथ एयर प्यूरीफायर का उपयोग भी अच्छा विकल्प है।
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