निमोनिया एक ऐसी बीमारी जो देखते ही देखते मरीज को अंदर से खोखला करने लगती है। अगर सही समय पर इलाज शुरू नहीं हुआ तो फिर ये बीमारी जानलेवा साबित हो सकती है। आमतौर पर लोग इसे मामूली बीमारी की भूल कर बैठते है लेकिन यदि इस पर ध्यान नहीं दिया जाए तो ये आपके लिए बेहद खतरनाक हो जाती है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर घंटे निमोनिया से 45 बच्चों की मौत होती है। यानी करीब हर मिनट हमारे देश में एक बच्चा निमोनिया की भेंट चढ़ जाता है। इसलिए निमोनिया को मामूली बीमारी समझने की भूल न करें। निमोनिया एक प्रकार का संक्रमण है। हवा में मौजूद बैक्टीरिया और वायरस सांस के माध्यम से फेफड़ों तक पहुंच जाता है। कई बार फंफूद की वजह से भी फेफड़ा संक्रमित हो जाता है। अगर कोई व्यक्ति पहले से किसी बीमारी जैसे फेफड़ो से सम्बन्धित बीमारी और दिल सम्बन्धित बीमारी से पीड़ित है तो उनके लिए ये बीमारी बेहद घातक साबित हो सकती है। हालांकि, यह बीमारी जवान एवं स्वस्थ लोगों को भी हो सकती है, लेकिन बुजुर्गों, बच्चों, ऐसे लोग जो पहले से किसी बीमारी से पीड़ित हैं। आईए जानिए इसके कारण और प्रभाव-
कैसे होता है निमोनिया
निमोनिया अक्सर सर्दियों में होता है। ये एक प्रकार का फेफड़ो में होने वाला संक्रमण है जो बैक्टीरिया,वायरस,फंगस अथवा पेरासाइटस के कारण होता है। सांस के जरिए निमोनिया ग्रस्त कीटाणु षरीर में प्रवेष कर जाते हैै जिससे फेफड़ो की वायुकोषठिका में सूजन आ जाती है अथवा तरल पदार्थ भर जाता है। षरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता उन कीटाणुओं से लड़ नही पाती। जिससे मरीज की हालात दिन प्रतिदिन बिगड़ती जाती है। और निमोनिया गंभीर रूप धारण कर लेता है। इसका इलाज संभव है जो लोग इसका सही प्रकार से इलाज करवा लेते है वे बच जाते है लेकिन बहुत से लोग इस बीमारी के कारण मृत्यु हो जाती है।
निमोनिया के सामान्य लक्षण-
निमोनिया होने पर कुछ इस तरह के लक्षण आप महसूस करते है जैसे सर्दी,कफ,तेज बुखार,सिर दर्द,षरीर में दर्द,मांसपेषियों में दर्द आदि। इसके अलावा और भी कुछ लक्षण है जिनके दिखने पर इन्हे नजरअंदाज न करे।
-निमोनिया बीमारी से ग्रसित व्यक्ति में संक्रमण बढ़ने साथ अधिकतर लोगों को ठंड के साथ, तेज बुखार और पसीना भी आने लगता है।
-व्यक्ति अपने आपको थका हुआ और कमजोर महसूस करता है। इसके अलावा शरीर में ऑक्सीजन की कमी भी हो जाती है।
-सांस तेज लेना, कफ की आवाज आना आदि भी निमोनिया का संकेत हो सकते हैं ।
-उल्टी होना, सीने या पेट के निचले हिस्से में दर्द होना।
-होंठों और नाखून का रंग नीला पड़ना।
-पांच साल से कम उम्र के ज्यादातर बच्चों में निमोनिया होने पर उन्हें सांस लेने तथा दूध पीने में भी दिक्कत होती है और वे सुस्त भी हो जाता है।
-छोटे बच्चों में निमोनिया की शुरुआत हल्के सर्दी-जुकाम से होती है, जो धीरे-धीरे निमोनिया में बदल जाती है। ऐसे में बच्चों को बाद में सांस लेने में तकलीफ होने लगती है।
-बुजुर्गों में मतिभ्रम निमोनिया का सबसे प्रमुख संकेत हो सकता है।
-अधिक गंभीर लक्षणों में त्वचा की नीली रंगत, प्यास में कमीं, बेहोशी और ऐंठन, बार-बार उल्टी शामिल होते हैं।
-वायरस के कारण हुए निमोनिया में बैक्टीरिया सो होने वाले निमोनिया की तुलना में आम तौर पर घरघराहट ज्यादा होती है।
निमोनिया से बचाव
जब हम उचित पौष्टिक आहार का सेवन करते हैं और स्वच्छ वातावरण में रहते हैं तो हम इस रोग को रोक सकते हैं। अगर आप चाहते हैं कि आप के बच्चें को निमोनिया की शिकायत न हो तो निमोनिया से बचने के लिए बच्चें को बादाम और मुनक्का मिलाकर देने चाहिए। इससे बच्चें की इम्युनिटी पावर बढ़ती है साथ में बच्चा तंदुरुस्त रहता है। इसके इस्तेमाल से बच्चें के शरीर में गर्मी पैदा होती है। जिसके कारण वह बीमारी से बच सकता है।
-हल्दी, अदरक,काली मिर्च और मेथी का प्रतिदिन सेवन करने से फेफड़े स्वस्थ रहते हैं।
-सर्दी के दिनों में बच्चों को धूप में रखें।
-पांच पत्ते तुलसी, तीन ग्राम मिश्री और पांच काली मिर्च पिस कर चूर्ण तैयार कर लें। फिर इसकी छोटी छोटी गोलियां बनाकर सुबह और शाम पानी के साथ लें।
-दूध में केसर मिलाकर बच्चों को देने से निमोनियां से बचा जा सकता है।
-अधिक मात्रा में ताजी सब्जियाँ खासकर गाजर, चुकंदर, प्याज, पत्तागोभी, फूलगोभी, ब्रोकोली, ककड़ी, मूली ले।
-सब्जियों के सूप,सूखे मेवे और गिरी ले।
-थोड़ी मात्रा में ताजे मीठे फल, अपने चयन को आलूबुखारा और नाशपाती, सभी तरह की बेरियाँ, और अन्य कम मीठे विदेशी फल तक सीमित करें।
-लहसुन, अदरक, मिर्च, और प्याज फेफड़ों और श्वसन तंत्र के लिए अत्यंत लाभकारी होते हैं और इसलिए नियमित रूप से लिए जाने चाहिये।
ध्यान रखें-
-बाहर जाएं तो अपना मुंह ढक कर रखें।
-छींक या खांसी आए तो चेहरा ढक लें।
-किसी व्यक्ति को खांसी-जुकाम के लक्षण हो तो उसका जूठा खाना-पीना लेने से बचें।
-संक्रमित व्यक्ति के कपड़े, रुमाल आदि का इस्तेमाल न करें।
-कुछ भी खाने-पीने से पहले अपने हाथों को अच्छी तरह से धोएं।
-ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं। शरीर को डिहाइड्रेट न होने दें।
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